MOTIVATION SOTRY इच्छाशक्ति की जीत

  MOTIVATION SOTRY इच्छाशक्ति की जीत

                                                                              कहानी :     इच्छाशक्ति की जीत

भाग 1: एक गाँव का लड़का

रमेश  एक छोटे से गाँव में रहने वाला सीधा साधा  साधारण लड़का था। उसके पिता किसान मजदुर थे और माँ एक गृहिणी। घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन रमेश  के माता-पिता ने उसे हमेशा अच्छे संस्कार दिए। बचपन से ही रमेश  में कुछ अलग करने की इछा ओर लगन  ललक थी। वह पढ़ाई में होशियार था, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण उसे कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता था ।

रमेश  हर सुबह चार बजे उठता, पिता के साथ खेतों में काम करता और फिर स्कूल जाता। उसके पास स्कूल की ड्रेस नहीं थी, न जूते। फिर भी वह हर दिन स्कूल में सबसे पहले पहुँचता और सबसे बाद में घर लौटता। उसके अध्यापक भी उसकी लगन और मेहनत से प्रभावित थे।

भाग 2: कठिनाइयों की परीक्षा

जब रमेश  दसवीं कक्षा में पहुँचा, तो उसके जीवन में एक बड़ा मोड़ आया। उसके पिता बीमार हो गए और खेतों का सारा बोझ रमेश  पर आ गया। कई लोगों ने कहा, “अब पढ़ाई छोड़ दो बेटा, खेत देखो।” लेकिन रमेश  ने ठान लिया था कि वह अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ेगा। वह खेतों में भी काम करता, माँ की मदद भी करता और फिर देर रात तक पढ़ाई करता।

रमेश के  पास न तो अच्छी किताबे थी ओर नही अच्छे नोट्स  थे, न ही ट्यूशन का पैसा। लेकिन उसके पास था – मजबूत इरादा। वह गाँव के पुराने पुस्तकालय से किताबें लाता, पुराने पेपर्स हल करता और कठिन सवालों के हल खुद ढूँढ़ता।

भाग 3: पहली सफलता

परिश्रम रंग लाया। जब दसवीं बोर्ड के नतीजे आए, तो पूरे गाँव को गर्व हुआ। रमेश  ने जिला टॉप किया था।तब गाव वाले  लोग हैरान थे कि एक गरीब किसान का बेटा कैसे इतना बड़ा मुकाम पा गया। मीडिया भी आई, इंटरव्यू हुए, और राज्य सरकार ने उसे स्कॉलरशिप दी।

अब रमेश ने तय कर लिया था कि वह इंजीनियर बनेगा। उसने शहर के एक सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया। लेकिन अब मुश्किलें और बढ़ गई थीं – शहर में रहना, खाना, कॉलेज की फीस, और अकेलापन। कई बार वह थक जाता, टूट जाता, लेकिन फिर अपने गाँव और माता-पिता का चेहरा याद करता और आगे बढ़ जाता।

भाग 4: संघर्ष और सफलता

कॉलेज के चार साल रमेश  ने बड़ी मेहनत और अनुशासन से पूरे किए। जब प्लेसमेंट का समय आया, तो सबको उम्मीद नहीं थी कि वह किसी बड़ी कंपनी में चयनित होगा। लेकिन इंटरव्यू के दिन रमेश  ने ऐसा आत्मविश्वास दिखाया कि वह सीधे एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में चयनित हो गया।

आज रमेश  एक सफल इंजीनियर है। वह हर साल अपने गाँव आता है, बच्चों को प्रेरणा देता है, गरीब छात्रों के लिए किताबें और स्कॉलरशिप का प्रबंध करता है। उसके गाँव में अब शिक्षा का माहौल है, क्योंकि एक लड़के ने दिखा दिया कि इच्छाशक्ति, मेहनत और आत्मविश्वास से कुछ भी संभव है।

कहानी से सीख (Motivational Message):

  1. कठिनाइयाँ केवल परीक्षा हैं, हारने के लिए नहीं।
  2. सपने देखने का हक हर किसी को है, पर उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत जरूरी है।
  3. संसाधन नहीं, संकल्प मायने रखता है।
  4. शिक्षा सबसे बड़ी पूँजी है, जो किसी भी हालात को बदल सकती है।
  5. सीख:

    रमेश  की कहानी सिर्फ एक लड़के की नहीं है, ये उन लाखों युवाओं की कहानी है जो सपनों को हकीकत में बदलना चाहते हैं। हालात चाहे जैसे भी हों, अगर आपमें संकल्प है, मेहनत करने की लगन है और अपने सपनों पर विश्वास है, तो आप किसी भी मंज़िल तक पहुँच सकते हैं।

    हमेशा याद रखिए – रास्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों, अगर आपका इरादा मजबूत है, तो कोई भी ताकत आपको रोक नहीं सकती। जैसे रमेश  ने अपने जीवन में अंधेरे से उजाले की ओर सफर किया, वैसे ही हर कोई कर सकता है – बस खुद पर भरोसा होना चाहिए।

 

                                                                                                                              ठोकरे खाकर भी नही समझे तो मुसाफिर का नसीब पत्थरों ने तो अपना फर्ज निभा दिया 

MOTIVATION SOTRY इच्छाशक्ति की जीत

1 thought on “MOTIVATION SOTRY इच्छाशक्ति की जीत”

Leave a Comment